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गोवत्स आनन्द गोपाल

मेरा सामान्य परिचय:-
1. नाम:  गौवत्स आनन्द गोपाल

2. जन्म दिनांक:- 3 मार्च 2011

3. शरीर का पूर्व नाम:- आनन्द बैरागी

4. जन्म स्थान:- तुरक्कड़ी, तहसील बेगू, जिला चित्तौडग़ढ़, राजस्थान

5. लौकिक शिक्षा:- 7वीं कक्षा में अध्ययनरत

6. आध्यात्मिक शिक्षा:-
(1) श्री धाम वृंदावन में परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान हित वनमाली दास वाल्मीकि गुरुजी के सानिध्य में श्रीमद् भागवत महापुराण और रामचरितमानस का अध्ययन किया।
(2) परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गौ-कथा, श्रीमद्भागवत गीताजी, साधन निधि, वेदांत सत्संग का अध्ययन-श्रवण वर्ष 2024 में किया।

सामान्य लौकिक जीवन से अध्यात्म यात्रा:-
          मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म दिनांक 3 मार्च 2011 में चित्तौड़गढ़ जिले के बेगू तहसील में एक वैष्णव परिवार में हुआ। परिवार की पृष्ठभूमि धार्मिक होने के कारण बचपन से ही आध्यात्मिक वातावरण प्राप्त हुआ। माता-पिता और दादाजी के साथ कथा श्रवण करना, मंदिर जाना और बाल्यकाल में दादाजी के साथ गौ सेवा का भी सुअवसर प्राप्त हुआ। गंगा, यमुना, सरस्वती, स्वरुपा तीन गौमाता की उपस्थिति घर पर थी। नित्य उनके दर्शन और सेवा का लाभ मिलता था, परंतु माता-पिता को किसी कारणवश शहर में रहना पड़ा, इस कारण 7 वर्ष की आयु में गांव का त्याग करने से प्रत्यक्ष गौ-सेवा वहीं थम गई। पांचवी कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् माता-पिता ने श्रीधाम वृंदावन भागवत कथा शिक्षण प्राप्त करने के उद्देश्य से भेजा। श्री धाम वृंदावन में परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान हित वनमाली दास वाल्मीकि गुरुजी के सानिध्य में श्रीमद् भागवत महापुराण और रामचरितमानस का अध्ययन किया। तत्पश्चात् जीवन कथा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा था। पूजा पाठ, व्रत अनुष्ठान, मंदिर जाना, कथा श्रवण करना जीवन में सब चल रहा था, परन्तु उस समय गौ-सेवा जीवन में दूर-दूर तक नहीं थी, लेकिन परिवर्तन संसार का नियम है, कुछ समय व्यतीत होने के पश्चात् ईश्वर कृपा से जीवन में बदलाव आया। एक दिन मोबाइल पर साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती दीदी जी की कथा चल रही थी, उसके माध्यम से धेनु टीवी यूट्यूब चैनल से जुड़ाव हुआ। धेनु टीवी के माध्यम से परम पूज्य संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी, गुरुजी का सत्संग और परिचय प्राप्त हुआ। परम पूज्य गुरुदेव भगवान की वाणी श्रवण करने के बाद गौ-सेवा के क्षेत्र में मेरा रुझान बढ़ने लगा। कुछ समय व्यतीत होने के पश्चात्, ईश्वर कृपा से इस शरीर के द्वारा प्रभु की लीलाचरित्र का गान महाराष्ट्र के नांदेड़ मैं करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। उस कथा में परम पूज्य श्री सद्गुरुदेव भगवान स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज का पधारना हुआ। पूज्य गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से सत्संग सुनने के बाद पूर्ण रूप से हृदय में गौ भक्ति जाग्रत हुई और गुरुदेव भगवान की वाणी से गौ माता की करूण लीला व्यथा श्रवण की, तब प्रथम बार यह एहसास हुआ कि वर्तमान समय में गौमाता की रक्षा एवं उनकी सेवा की महती आवश्यकता है और गुरुदेव भगवान से प्रेरित होकर मेरे मन में ऐसे भाव जागृत हुए की मुझे भगवती गौमाता की सेवा कार्य में अपना समय लगाना चाहिए। वाणी के माध्यम से गौ
माता की महिमा को जन-जन तक पहुंचाने का भाव हृदय में जागृत हुआ। माता-पिता ने भी गौमाता की कथा का अध्ययन करने के लिए स्वीकृति प्रदान की। कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगर-मालवा, मध्य प्रदेश, में रहकर पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में 1 वर्ष तक गो-कथा का अध्ययन करने का अवसर मिला और साथ ही साथ जीवन में एक लक्ष्य भी मिला....की चाहे कुछ रहे या ना रहे...गौ सेवा जीवन में अवश्य रहेगी।

जीवन पर्यंत जितनी हो सके तन से, मन से, धन से, वाणी से, कर्म से, जैसे भी करेंगे परन्तु गौ-सेवा अवश्य करेंगे तथा जन-जन तक यह भाव पहुँचायेंगे कि"' गावो विश्वस्य मातर:" गाय माता सारे विश्व की माता है।

जिम्मेदारियां:-
1. 43 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार करना।

कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:-
1. गोव्रती प्रसादी का ही प्रयोग करना।
2.पूर्ण व्यसन मुक्त होकर जीवन-यापन करना। 
3. गो-सेवा & गो-दर्शन करके प्रसादी ग्रहण करना।