थ1. नाम:- गोवत्स संजय गोपाल
2. जन्म दिनांक:- 17/06/1977 तिथि
3. जन्म स्थान:- हिल कालोनी
पोस्ट, जिला धनबाद, झारखंड,
4. लौकिक शिक्षा:- बारहवीं, कला संकाय
पी.के.राय मेमोरियल कालेज, 1994
5. आध्यात्मिक शिक्षा:- अखिल विश्व गायत्री परिवार संस्था से यूग शिल्पी, ग्राम प्रबंधन एवं संगीत प्रशिक्षण, गीता वेदांत अध्यन, गोपाल परिवार संघ
6. भूतपूर्व कार्य:- श्री मां भगवती जागरण कार्यक्रम में भजन गायक।
सामान्य लौकिक जीवन से पुज्य गो माता की सेवा में आने की यात्रा :-
मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म झारखंड के धनबाद जिले में एक निम्न वर्गीय गरीब परिवार में हुआ। बचपन से ही गरीबी से वास्ता रहा। जैसे तैसे करके मां-पिताजी ने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई कराई। निम्नवर्गीय गरीब परिवार होने के कारण आध्यात्म और धर्म-कर्म के कार्यों से दुर-दुर तक कोई संबंध नहीं रहा। हाँ! ईश्वर कृपा से भक्ति और सेवा भाव के बीज बचपन से ही मेरे अंदर विद्यमान थे।
बचपन से ही गरीबी और अभावपुर्ण माहौल में रहने से आगे और पढ़ने की इच्छा नहीं हुई। चुंकि हमारा परिवार बड़ा था तो, मां पिताजी को आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से 1994 में पैसे कमाने के लिए जयपुर चला गया, पर वहाँ से रोग ग्रसित होकर वापस लौट आया। तीन वर्ष में स्वास्थ ठीक हुआ।
अब घर पर ही रह कर कुछ करने की मनोभूमि बनाने लगा। इसी दौरान हमारे मोहल्ले में माता भगवती जी का जागरण कार्यक्रम रखा गया। मुझे गाने की इच्छा बचपन से थी, तो मैंने आयोजक और जागरण मंडली से आग्रह करके जैसे-तैसे एक भजन गाया। उस भजन से जागरण मंडली प्रभावित हुई और उन्होंने मुझे अपनी मंडली में शामिल कर लिया। धीरे-धीरे उनके साथ रहकर उनके तौर तरीके सिखकर मैं भजन गाना सिखता रहा, लेकिन रोग और धनाभाव ने पीछा नहीं छोड़ा।
ऐसे ही समय बितता गया।
ईश्वर को और होनी को कुछ और ही मंजूर था। शायद मेरे पुर्व जनम के कुछ पुण्य रहे होंगे, जिसके प्रभाव से मेरे किसी मित्र ने मुझे गोमाता के पास जाकर कुछ समय बिताने की बात कही। मैं बेमन कभी-कभी गोमाता के पास जाने लगा। कुछ महीनों बाद मुझे थोड़ी शांति महसूस होने लगी। मेरे शारीरिक स्थिति में सुधार भी होने लगा। थोड़ा-थोड़ा मेरा आत्मविश्वास भी जगने लगा, तो मैं गोमाता के पास जाने का क्रम धीरे-धीरे बढ़ने लगा। (यहाँ पर जिस स्थिति में मैं था, वैसी स्थिति में मुझे अपने खुद का ही होश हवास नहीं रहता था और बचपन से ये भी नहीं पता और जानकारी नहीं थी, कि पूज्य वेदलक्षणा गोमाता किसे कहते हैं? पर गायों के पास जाकर समय बिताता, मन होता तो कभी रोटी इत्यादि खिलाता था, धीरे-धीरे जीने की चाह भी जगी। इस क्रिया से मेरे रोग संतोषजनक गति से ठीक होने लगे। मेरा आत्मविश्वास थोड़ा और मजबूत हुआ। इस तरह गो के संपर्क में रहकर 2019 के अंत तक मेरे रोग और दयनीय शारीरिक अवस्था में 50% तक सुधार हुआ।
इसी दौरान किसी मित्र के ही द्वारा अखिल विश्व गायत्री परिवार के संपर्क में आया और हरिद्वार जाकरनअखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय में करीब दो ढाई महीने रहकर परम् पूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पं. श्री राम शर्मा आचार्य जी के आदर्शों को जान कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की और स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त किया। यहाँ मानसिक एवं शारीरिक स्थिति में काफी सुधार हुआ। गायत्री महामंत्र के जप, यज्ञ, हवन इत्यादि से भी मानसिक व्याधियां दुर हुई। हरिद्वार में ही मुझे देशी और जर्सी गायों में फर्क मालुम पड़ा। यहीं से मैंने अपने आपको गोमाता के सानिध्य में रहकर खुद को पुर्णरूप से स्वस्थ करने का निश्चय कर लिया और गोमाता के द्वारा जो जीवन दान मिला उस शेष जीवन को गोमाता के लिए समर्पित करने का निश्चय कर लिया। तभी से गोमाता के क्षेत्र में ही कुछ करने का सफर शुरू किया। गायत्री परिवार, हरिद्वार में ही वहाँ की गोशाला में करीब पांच महीनें रहकर गोमाता का हमारे जीवन में क्या महत्व है? इस बात को जाना और समझा। तभी से गोमाता के बारे में और अधिक जानने और कुछ करने की लालसा लिए प्रयासरत रहने लगा। कई और संस्थाओं में जाकर प्रशिक्षण करके जानकारी प्राप्त करता रहा।
इसी क्रम में 2023 के सितंबर माह में किसी के माध्यम से इंदौर में गो श्रद्धा महामहोत्सव के कार्यक्रम की जानकारी हुई। उस कार्यक्रम में ही पूज्य गोऋषि श्री दत्तशरणानंदजी महाराज जी और परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के पहली बार दर्शन लाभ प्राप्त हुए। मैं उस पुरे कार्यक्रम में रहा। सेवा कार्य भी किये। यहीं पर मुझे पुज्य वेदलक्षणा गोमाता के बारे में सही जानकारी प्राप्त हुई। इसके पश्चात् गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित कामधेनु गो अभ्यारण्य सालरिया, आगर मालवा मध्य प्रदेश में आने का अवसर मिला। इसके बाद एक वर्षीय वेदलक्षणा गो महा महोत्सव के प्रारंभ सत्र में सेवा कार्य का अवसर मिला। इस गो कृपा कथा से मैं प्रभावित हुआ और मन ही मन मैंने भी गो कृपा कथा करने का विचार करने लगा, पर सिर्फ विचार करने से क्या होता है?
फिर पुनः पुज्य गोमाता की कृपा से दिसंबर 2024 में कामधेनु गो अभ्यारण्य सालरिया, आगर मालवा आया और पुज्य गुरुदेव जी को अपनी मन की बात से अवगत कराकर उनके आदेशानुसार पुज्य वेदलक्षणा गोमाता के पावन चरित्र की कथा सीखना प्रारंभ किया।
मेरे आध्यात्मिक जीवन का उद्देश्य :-
1. पुज्य गो माता और मां गायत्री की कृपा से जो जीवन दान मुझे मिला है, उसे पुर्ण रूप से पुज्य गोमाता की सेवा कार्य के लिए पुज्य गोमाता को समर्पित कर चुका हूं। गो कृपा कथा के माध्यम से भारतवर्ष के लोगों में जन जागृति फैला कर पुज्य गो माता को लोगों हृदय में स्थापित कर उनके कार्यों को विस्तार देकर एक नये सात्विक युग के निर्माण में गिलहरी की भांति अपना योगदान देना ही परम् उद्देश्य है।
2. पुज्य गोमाता के सानिध्य में मानसिक रोगियों को स्वस्थ कर उन्हें पुज्य गोमाता जी के सेवा कार्यों में लगाना।
इस परम् उद्देश्य के लिए संकल्प:-
1. पुर्ण रूप से गोव्रती रह कर गोव्रती प्रसाद ही उपयोग में लूंगा।
2. जीवन भर व्यसन मुक्त रहूंगा।