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गोपाल स्वामी श्री ग्वालानंद सरस्वती जी महाराज

मेरा सामान्य परिचय : 
(1) प्राप्त शरीर का नाम:- गोपाल स्वामी ग्वालानन्द सरस्वती गुरु गौ भैरव उपासक गोपालाचार्य स्वामी गोपालानन्द सरस्वती जी महाराज 
(2) जन्मदिनांक:- 09 नवम्बर 1986
(3) संन्यास दीक्षा तिथि:- गंगा दशमी 
       दिनांक:- १६ जून २०२४ 
(4) शरीर का पूर्व नाम:- सुरेश कुमार/किशोर सिंह जी राजपुरोहित 
(5) शरीर का जन्म स्थान:- रेवतडा, जिला जालौर, राजस्थान 
(6) लौकिक शिक्षा:- 8वीं बोर्ड तक
 सामान्य लौकिक जीवन से आध्यात्मिक जीवन यात्रा:- 
प्राप्त शरीर का जन्म गाँव रेवतडा, जिला जालौर, राजस्थान वशिष्ठ गोत्रीय राजपुरोहित ब्राह्मण, किसान, मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। क्षेत्र में वर्षा जल के अभाव के चलते कम उम्र में दक्षिण भारत की ओर व्यवसाय हेतु जाना पड़ा। नौकरी, व्यापार, व अन्य कारणों से सम्पूर्ण भारत भ्रमण का अवसर मिला।
जीवन के कही अनुभवों व घटनाओं से संसार से मोह भंग होने लगा और गौमाता व राष्ट्र की पीड़ा से मन पीड़ित होने लगा। आदरणीय राजीव दीक्षित जी व परम पूज्य गोऋषि श्री दत्तशरणानंदजी महाराज जी से प्रेरित होकर गौ-सेवा के पुनीत कार्य में तन-मन से लग गया।
पूज्य पथमेड़ा महाराज जी व गौमाता की कृपा से 10 साल तक श्री पथमेड़ा गोधाम की विभिन्न गौशालाओं में प्रत्यक्ष गौ-सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वर्ष 2016 में दिल्ली गौ-रक्षा आंदोलन में परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी श्री गोपालानन्द सरस्वती जी महाराज के दर्शन ईश्वर कृपा से प्राप्त हुए। उसी क्षण ललक उठी कि परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर संन्यास मार्ग पर चलना है और भगवती गौमाता व गुरुदेव की कृपा से 16 जून 2024 गंगा दशमी को श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगर-मालवा, मध्य प्रदेश, में परम पूज्य गुरूदेव भगवान द्वारा संन्यास दीक्षा लेकर गौ-सेवा व मुक्ति मार्ग पर चलने की आज्ञा मिली। अब शेष जीवन गुरुदेव भगवान की आज्ञा से गौ-सेवा में समर्पित करना ही एक मात्र जीवन का उद्देश्य है।

 जिम्मेदारिया :- 
1. श्री स्वामी राम गौ चिकित्सालय, स्थान-कराटी, तहसील-भिनाय, जिला- केकड़ी, राज्य-राजस्थान (श्री दाताजी प्राकट्य स्थली) का व्यवस्थित क्रियान्वयन करना।
2. किशनगढ-भीलवाड़ा हाइवे पर नवीन गौ चिकित्सालय की स्थापना करना व संचालन करना।
3. संन्यास धर्म का पालन करते हुए असहाय, पीड़ित, बुजुर्ग, घायल गोवंश की गौ चिकित्सालय के माध्यम से सेवा करना।
4. पारम्परिक गौ चिकित्सा को पुनः विकसित करना। 
5. औषधीय पौधों का संग्रह करना।
6.गो सेवा जन जागरण हेतु गो महिमा का प्रचार करना 
 
कार्य सिद्धि हेतु संकल्प:- 
1. पैरों में जूते-चप्पल नहीं पहनना।
2. पूर्णतः गोव्रती प्रसादी का ही सेवन करना।

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