मातृशक्ति अपने चरित्र को इतना मजबूत बनाएं कि कोई आंख उठा न सकें*- साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 334 वें दिवस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती ने वीर महाबलिदानी पन्नाधाय के जन्मदिवस पर संबोधित करते हुए बताया आज का दिन बलिदान का सर्वोच्च उदाहरण है कि जिसने अपने इकलौते किशोर बच्चे का बलिदान दे देना और राजकुल के राजकुमार उदयसिंह को बचाना ऐसी दिव्यता सात्विकता से ही आती है और पन्नाधाय में वह सात्विकता गो सेवा से ही आई है क्योंकि गायमाता की निष्काम भाव से सेवा मनुष्य में इतना परिवर्तन कर देती है कि वह न होने योग्य काम को भी करवा सकती है उसी का उदाहरण पन्नाधाय ने दिया है कि जिन्होंने अपने कुलदीपक चंदन का बलिदान देकर मेवाड़ के कुलदीपक राजकुंवर उदय सिंह को बचाया है और वे हमें भी एक प्रेरणा दे गई है राष्ट्र की बलिदेवी के लिए बलिदान होने के लिए हमे हमेशा तैयार रहना चाहिए और आज राष्ट्र, सनातन एवं हमारी संस्कृति को बचाए रखने के लिए हमें हमारी संतान को प्रेरित करना होगा ,इसलिए अपने बच्चों को प्रेरणा दीजिए कि राष्ट्र के लिए कुछ कर जाएं क्योंकि पेट तो जानवर भी भर लेते है,, इसलिए हे ! सनातनियों जागो, उठो और राष्ट्र, सनातन एवं संस्कृति के काम में लगो!
*स्वामीजी ने शुभ सूचना देते हुए बताया कि 09 मार्च रविवार को मालवा माटी के एवं मां सरस्वती के वरदपुत्र एवं गौसेवक सन्त परम पूज्य कमल किशोर जी नागर विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में आशीर्वाद देने के लिए पधार रहें है साथ ही उस दिन महाशिवरात्रि पर्व पर जिन राधाकृष्ण युगल सरकार का विवाह हुआ था वे भी पहली बार फगफेरे के लिए गो अभयारण्य पधारेंगे ।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मातृशक्ति के योगदान के बारे में दवादेवी फाउंडेशन की प्रमुख साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती दीदी ने बताया कि राष्ट्र एवं गौसेवा के क्षेत्र में हमारे देश की माताओं का गौरवमय इतिहास रहा है, जिसमें विदुषी गार्गी,विदुषी मैत्रेई,माता अहिल्या बाई,झांसी की रानी लक्ष्मी बाई,सरोजिनी नायडू,भीकाजी कामा,नीरा आर्या जैसी वीरांगनाओं की गाथाएं हमारे देश में रही है और मालवा की बात करे तो मां अहिल्याबाई होलकर जिन्होंने गो सेवा के साथ साथ हमारी विरासत के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है,अर्थात भगवान आदि शंकराचार्य भगवान द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिंग जिनका विध्वंश हमारे यहां आएं आक्रांताओं ने कर दिया था उन 12 ज्योतिर्लिंग का जीर्णोद्वार मां अहिल्याबाई ने कराकर हमारी संस्कृति का रक्षण किया है और ये सब अपने श्रेष्ठ चरित्र के कारण ही वे कर पाई है, इसलिए *अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं देश की माता बहिनों से आह्वान करती हूं कि हे ! अपने पापा की परियों आप अपने चरित्र को इतना महान बनाओ कि कोई हमारी और आंख उठाकर नहीं देख पाएं,हमारे विचार और कर्म इतने पवित्र हो कि जैसे लंका में रहकर भी रावण माता सीता को स्पर्श करना तो दूर की बात छाया को भी स्पर्श उसी प्रकार हमें भी वर्तमान में। विधर्मी रूपी रावण जो वेश बदलकर हमारे आस पास भटक रहे है उनसे हमें बचना होगा* और आगामी 02 अप्रैल से 10 अप्रैल तक विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में मातृशक्ति के आत्म रक्षा प्रशिक्षण शिविर में भाग लेकर अपने आपको झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना बनाएं।
*विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में सूरत से सत्यनारायण जी चांडक की पुत्री प्राणवी, धेनु शक्ति संघ सुसनेर की वर्षा राठौर एवं रामगंजमंडी के उद्धव आदि के जन्मदिवस पर पूज्य महाराज जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि आप सभी गोमाता की सेवा करते हुए अपने जीवन को राष्ट्र निर्माण के लिए लगाएं*
*334 वे दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान कोटा जिले से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 334 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के कोटा जिले के रामगंजमंडी से रत्ना जी राठौड़, मनीषा जी राठौड़,सुमन जी राठौड़,सीतु राठौड़, हंसा राठौड़,निर्मला जी राठौड़, कल्ला जी राठौड़,निया जी राठौड़ के साथ गिरिराज जी राठौड़, हरिप्रसाद जी राठौड़,लोकेश जी राठौड़ ,राहुल जी राठौड़,विनोद जी राठौड़ ने सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।