शिवाजी को छत्रपति शिवाजी बनाने में भी एक नारी की भूमिका रही है* स्वामी गोपालानंद सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 317 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि मेरे देश में नारी की बड़ी भूमिका रही है लेकिन जबसे हम पराधीन हुए तब से हमारी मातृशक्ति को हमने नजरअंदाज किया है जिसके कारण धार्मिक, सांस्कृतिक सभी प्रकार की स्थितिया कमजोर हुई है, याद रखिए जिन शिवाजी महाराज का आज हम जन्मदिवस मना रहें है उन शिवाजी को छत्रपति शिवाजी बनाने के पीछे भी एक त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति जो महाराष्ट्र के शिवनेरी में मराठा परिवार में शाहजी भोसले की अर्दाग्नि थी उस वीरांगना मां जीजाबाई के गर्भ से ही आज के दिन 19 फरवरी 1627 को बहादुर,शौर्यवान एवं दयालुता से परिपूर्ण वीर बालक के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज को जन्म दिया है , मां जीजाबाई परम धार्मिक स्वभाव की होने के साथ साथ एक वीरांगना नारी भी रहीं है और माता का असर तो संतान पर आता ही है क्योंकि मां जीजाबाई ने छत्रपति शिवाजी को बचपन में रामायण,महाभारत एवं वीर पुरूषों की गाथाएं शिवाजी को सुनाई थी और उन्होंने शिवाजी को आत्मरक्षा का पाठ बचपन से ही सीखना शुरू कर दिया था और जब वे छोटे थे उस समय एक कसाई गाय को वध के लिए ले जा रहन था उस समय शिवाजी ने कसाई से गाय को मुक्त करवाकर कसाई की गर्दन को काट दिया था । अपनी मां जीजाबाई एवं गुरु समर्थ रामदास जी ने शिवाजी को समर्थ बना दिया था और उसी सामर्थ्य के आधार पर उनकी कुलदेवी माँ तुलजा भवानी ने उनको आशीर्वाद स्वरूप अपने हाथ की तलवार देकर गोघातीयों को समूल नष्ट करने के लिए दी थी और उसी तलवार से छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों का संहार किया था और छत्रपति शिवाजी महाराज की गोभक्ति के कारण ही उन्हें दरबार में गोप्रतिपालक से संबोधित किया जाता था।
पूज्य महाराज जी ने भोपाल में कोलार रोड के पास अपनी निजी भूमि में बिना सरकारी सहायता के 400 से अधिक सड़क दुर्घटना से ग्रस्त एवं बीमार गोवंश की सेवा के लिए भारत के बैंगलोर गुड़गांव हैदराबाद जैसी मेट्रो सिटीज में सॉफ्टवेयर इंजीनियर मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज को छोड़कर गौसेवा में सम्पूर्ण समय देने वाली भोपाल निवासी नीताजी नायर को भोपाल क्षेत्र की धेनु शक्ति संघ की प्रभारी के नाते घोषणा कर भगवान कामधेनु कृष्ण से प्रार्थना की कि वे भोपाल क्षेत्र की एक्सीडेंटल एवं बीमार गौमाताओं की और श्रेष्ठ सेवा करे और गोपाल परिवार संघ उनका हर प्रकार से सहयोग करेगा ।
*गौ संवर्द्धन आश्रम, ग्राम मोकलावास, जोधपुर में स्व. डॉ. श्री चंचलमल जी चौरड़िया की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर पूज्य संत श्री गोपालनंद सरस्वती जी महाराज के नाम से पंचगव्य विद्यापीठ का उद्घाटन राष्ट्रीय जैन कांफ्रेंस के पूर्व अध्यक्ष और समाजसेवी श्री नेमीचंद जी जैन ने अपने करकमलों से पंचगव्य विद्यापीठ का उद्घाटन किया।
र्यक्रम में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति श्री प्रदीप प्रजापति जी, इसकॉन सर्जिकल के संस्थापक श्री सोहनलाल जी जैन, अन्य गणमान्य अतिथि, ग्रामीणजन, और पंचगव्य चिकित्सा में रुचि रखने वाले लोग उपस्थित रहे*
*317 वे दिवस पर चुनरी हरियाणा,गुरुग्राम,छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 317 वें दिवस पर चुनरी यात्रा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से राधेश्याम जी शर्मा ,हरियाणा के हिसार से सुशील जी , नवीन जी यादव एवं गुरुग्राम से डॉक्टर राजीव खरे, श्रीमती किरण जी खरे की पुत्री एवं प्रियांशु खरे की बहिन श्रीमती पूर्वी जी खरे पत्नी रोहित जी खरे गुरुग्राम ने अपने पुत्र दक्ष खरे के साथ व कैलाश सिंह जी पीपल्दा की नातिन श्रीमती रानू जी सिसोदिया गोपालपुरा(जीरापुर) के परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।