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अपना अधिकार सुरक्षित रखना चाहते है तो बहुसंख्यकों की भावनाओं की कद्र करें अल्पसंख्यक*-


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 254 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि आज छत्तीसगढ़ के सतनाम परम्परा के प्रेरणा स्त्रोत गुरु घासी दास जी महाराज का प्रकट दिवस है। : गुरु घासीदास ने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध किया और एक ऐसे समाज की वकालत की जहाँ सभी के साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाता है। सामाजिक सुधार: अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, उन्होंने लोगों को अस्पृश्यता की प्रथाओं को छोड़ने और आंतरिक शुद्धता और नैतिकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया उन्होंने समाज को जीव हत्या नहीं करना, मांसाहार नहीं करना।, चोरी, जुआ से दूर रहना एवं नशा सेवन नहीं करना आदि सन्देश दिया ।

स्वामीजी ने बताया कि आज अल्पसंख्यक अधिकार दिवस भी है ,हमारे अधिकार हमें मिलने चाहिए लेकिन कर्तव्य कर्म ही हमारा वास्तविक अधिकार है इसलिए अल्पसंख्यकों से भी आग्रह है कि आप भारत भूमि पर विराजते है,हम आपका सम्मान करते है व अल्पसंख्यकों का भारत भूमि में सम्मान एवं सुरक्षा रही है,लेकिन अल्पसंख्यकों का भी कर्तव्य बनता है कि वे बहुसंख्यकों की भावना की भी कद्र करें अर्थात हमारे मंदिरों ,हमारे पूजा स्थलों,हमारे महापुरुषों का अनादर नहीं किया व हमारी भगवती गोमाता के वध का विचार नहीं किया तो भारतवासी बहुसंख्यक तो आपको अपने माथे पर बिठाने के लिए तैयार है। आपका अधिकार सुरक्षित करना चाहते है तो आपका सबसे पहला कर्तव्य बहुसंख्यक भाई बहनों की भावना के साथ आप खिलवाड़ न करें ,गोमाता को तो तनिक भी कष्ट न दे अगर आपने गोमाता को कष्ट नहीं दिया तो हम तो आपको भैया की तरह स्वीकार करने के लिए तैयार है, परन्तु आप गोमाता को कष्ट दोगे
तो फिर हम आपको भाई नहीं कसाई ही मानेंगे और कसाई का इलाज़ प्रेम व माला से नहीं भाला और तलवार से ही होता है। 
स्वामीजी ने राजा विक्रमादित्य की गो सेवा के बारे में बताते हुए कहां कि प्राण जाएं पर गायमाता के प्राण बचाएंगे यह राजा विक्रमादित्य का दृढ़ निश्चय था और वे अपने वचन पर अडिग रहें, मैं आपको गोमाता के लिए प्राण देने के लिए नहीं कह रहा बस आप गाय के साथ जीना सीख लीजिए अर्थात आप सड़क पर घूम रही एक निराश्रित गोमाता को दूध के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए पाल लीजिए क्योंकि उसकी सेवा का पुण्य अधिक मिलता है और जिंदगी में सुखी रहना है तो गोसेवा की और ही जाना होगा ।

*गो कृपा कथा के 254 वें दिवस पर गौरी शंकर डग ,रामकिशन टेलर एवं लक्ष्मी नारायण सेन उर्फ पप्पू लाल,मांगीलाल अपने क्षेत्र की मातृ शक्ति को बस में लेकर अतिथि के रूप में उपस्थित रहें*

*254 वे दिवस पर चुनरीयात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले से*

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 254 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले की बकानी तहसील के नानोर स्थित गोशाला की और से गोसेवा समिति अध्यक्ष देवी सिंह,उपाध्यक्ष सज्जन सिंह,सचिव बालू सिंह अध्यापक,कोषाध्यक्ष भगवान सिंह, सदस्य राजेन्द्र सिंह,शिवसिंह पूर्व सरपंच, श्याम सिंह,नयन सिंह, भवानी शंकर, सुजान सिंह ,नारायण सिंह, बालू सिंह मनोहर सिंह, जसवंत सिंह, हिन्दू सिंह आदि पंच पटेलो के साथ ग्राम के युवा एवं सैकड़ों मातृशक्ति ने अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया ज्ञातव्य हो कि डॉक्टर तिवारी जी का परिवार हर माह भगवती गोमाता के लिए चुनरी ओढ़ाते है और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।