अटल जी आज भी देश के प्रधानमंत्री होते तो भारत विश्व योगदिवस की तरह गोपाष्टमी मनाता* -
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 261 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि आज तुलसी पूजन दिवस है आध्यात्मिक, औषधीय और प्रतीकात्मक महत्व के लिए जाना जाने वाला यह पौधा भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण से जुड़े होने के कारण पूजनीय है।
स्वामीजी ने बताया कि आज महामना मदन मोहन मालवीय का भी जन्म दिवस है जिन्होंने अंग्रेजों के शासनकाल में हमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही साथ ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे और वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया।
स्वामीजी ने आगे बताया कि आज ही के दिन भारत में 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहें भारत रत्न स्व. अटल बिहारी जी वाजपेय का जन्मदिवस भी है और उनको याद करने का एक विशेष कारण भी बनता है कि जब राजस्थान में भयंकर अकाल पड़ा था उस समय राजस्थान के कुछ गोप्रेमी सन्त आदरणीय अशोक जी सिंहल की प्रेरणा से उनसे मिलने गए तो उन्होंने बिना देरी किए संतो का गोमाता के प्रति दुःख को देखते हुए दो घंटे के अन्दर भारत सरकार के माध्यम से यह आदेश जारी करवा दिया कि भारत के किसी भी कौने से गोमाता के चारे एवं पानी की व्यवस्था भारतीय रेल के माध्यम से निःशुल्क परिवहन की जाएगी यानि उनके हृदय में गोभक्ति प्रखर थी और हमारे ह्रदय की भावना कहती हैं कि वे और स्वस्थ रहते और आज भी भारत के प्रधानमंत्री रहते तो भारत से गौहत्या का कलंक पूरी तरह से मिट चुका होता क्योंकि जो संतो की भावना समझकर 2 घंटों में बिना देरी किए भारत सरकार की रेल को चारा परिवहन के लिए निःशुल्क कर देते है, ऐसे महापुरुष होते तो बहुत कुछ कर जाते उनके जन्मदिवस पर उनको वंदन करते हुए हम भगवान से प्रार्थना करते है कि है प्रभु अटल जी जैसा कोई सामर्थ्यवान प्रधानमंत्री देकर भारत से गौहत्या का कलंक दूर करे और जैसे पूरा विश्व योगदिवस मनाता है,उसी प्रकार पूरा भारत गोपाष्टमी , धेनु दिवस मनाना शुरू कर दे ।
स्वामीजी ने आज की कथा में बताया कि इस कलियुग में जहां भी हम नजर डालते है,उधर कुसंग ही कुसंग नज़र आती है लेकिन इस वातावरण में भी भगवती गोमाता की संगति हमें मिल रहीं है अर्थात जिन देवताओं ने हम पर कृपा कर हमें हवा के रूप में प्राणवायु,सूर्य के माध्यम से रोशनी एवं विटामिन डी,बादलों के माध्यम से जल आदि व्यवस्था दी हो और जिन्होंने भगवती गोमाता को अपनी मां माना है और हमारे शास्त्रों में तो स्पष्ट उल्लेख है कि मातृ सर्व भूतानां.......यानि गोमाता को सब देवताओं ने अपनी मां के रूप में स्वीकार किया है तो फिर तो हमारा विशेष कर्तव्य बनता है कि हमारा पल पल क्षण क्षण गोमाता की लिए न्योछावर होना चाहिए ,गोमाता के लिए बलिदान हो जाना चाहिए अर्थात जिसके गोमूत्र ,गोबर, गोरज एवं गोपुच्छ की इतनी महिमा है यानि जिसका पृष्ठभाग इतना पवित्र है तो भगवती गोमाता का सम्पूर्ण स्वरूप कितना श्रेष्ठ होगा और इसलिए तो कन्हैया हमेशा गईंया के पीछे पीछे चलते थे ।
*गो कृपा कथा के 261 वें दिवस पर आगर जिला के सामाजिक समरसता सह संयोजक.श्री भंवर सिंह खींची ग्राम कोईडीया.श्री महेश जाट एवं विशाल जाट
पित्याखेड़ी, जिला मन्दसौर,लोकेंद्र सिंह जी सोनगरा ,किशोर सिंह जी सोनगरा,कारु सिंह जी सोनगरा,भरत जी शर्मा,राजेन्द्र जी व्यास ग्राम बोलिया बुजुर्ग(सुनेल) सुनेल ,उमाशंकर जी शर्मा(व्याख्याता),) शासकीय राजकीय उच्चतर विद्यालय सुदवास (बडौद),आशुतोष जी शर्मा,मणिशंकर जी शर्मा (अधीक्षक),श्रीमती रेखा शर्मा,श्रीमती मंजू जी शर्मा,श्रीमती सरिता जी शर्मा बडौद एवं सुसनेर से डॉक्टर नवीन जी सेठी अपनी अर्द्धांगिनी श्रीमती मालती सेठी आदि अतिथि उपस्थित रहें*
*261 वे दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 261 वें दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की नलखेड़ा तहसील के भैसोदा ग्राम में संचालित श्री रामकृष्ण गोशाला की और से ग्राम पंचायत के सरपंच महेश पाटीदार ,दीपक पाटीदार,महेश पाटीदार, पवन पाटीदार एवं जयनारायण पाटीदार के साथ ग्राम के सेंकड़ों पंच पटेल,युवा शक्ति एवं मातृशक्ति ने अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।