भगवान कृष्ण ने स्वयं भूतल में आकर हमें गो सेवा का मंत्र दिया*- गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज
सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के द्वितीय दिवस पर पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज द्वारा एक वर्षीय गौ आराधना महा महोत्सव के अंतर्गत भक्त चरित्र नरसिंह मेहता का परम पावन चरित्र प्रसंग नानी बाई के मायरे के माध्यम से आगे की कथा सुनाते हुए कहा कि परम पावन इस दिव्य तीर्थ गो अभयारण्य की इस भूमि पर वर्ष पर्यन्त गो महिमा का गान होता रहा है और अभी दिव्य भाव से शिव शक्ति यज्ञ यहां संपादित हो रहा है जबकि यहां बहुत अधिक पेड़ भी नहीं है बहुत अधिक जल के स्रोत भी नहीं हैं है और इस पूरे जंगल के पथरीले पठार में यहां रहकर जो गो सेवा हो रही है और जो सेवा कर रहे हैं वह अदभुत है और निश्चित मानिए कि बिना गोपाल कृष्ण की कृपा व आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं है
महाराज जी ने बताया कि जिस प्रकार गांव के व्यक्ति को अपने गांव के जीवन में शहर वाले को शहर के जीवन में रस मिलता है,उसी प्रकार जो गो सेवा में रस आता है, उसको लगता है जो रस गोमाता के गोष्ठ में गो सेवा से मिलता है उतना रस बड़े बड़े शहरों में नहीं मिलता । भगवान ने अनेक अवतार लिए और खूब पराक्रम दिखाया लेकिन नारद जी ने भगवान को कहां कि प्रभु ऐसे अवतार लीजिए जिसके माध्यम से आप कुछ करके दिखाएं ताकि आपका वे अनुसरण कर सकें और भगवान ने द्वापर में कृष्णावतार लेकर पहले माखन की चौरी की और फिर गोचारण किया । आजकल लोगों का मानना है कि पंचगव्य उत्पाद का प्रचार किसी बड़े फिल्म स्टार अथवा खिलाड़ी से करवाना चाहिए ताकि माल अधिक सकें इसपर महाराज जी ने बताया कि कोई नेता अभिनेता किसी वस्तु का प्रचार करें तो उसमें खोट हो सकती है लेकिन जिस पदार्थ का भगवान ने स्वयं प्रचार किया उसमे कोई खोट नहीं हो सकती भगवान ने माखन चोरी करके पंचगव्य का प्रचार किया और दूसरा गो चारण करके गो सेवा का यानि भगवान कृष्ण ने स्वयं भूतल में आकर हमें गो सेवा का मंत्र दिया भगवान ने स्वयं कहां कि जो फल मदभागवत के परायण के पाठ करने से मिलता है वहीं फल गो सेवा से मिलता है, इसलिए हम सभी गव्य को अमृत समझकर उसका उप एवं प्रचार करें और जिस प्रकार भगवान ने कृष्णावतार में गौसेवा की उसे हम भी दोहराकर भगवान को प्रसन्न कर सकते है।
महाराज जी ने नरसी मेहता जी की कथा के माध्यम से बताया कि सम्पता, विपन्नता सबको दिखती है लेकिन भक्ति किसी की नहीं दिखती और नरसी मेहता ने कुछ पाने के लिए भक्ति नहीं की लेकिन भगवान ने बिना मांगे सबकुछ दे दिया और भक्ति का सबसे श्रेष्ठ साधन गो सेवा है क्योंकि गो सेवा के बिना तो किसी भी प्रकार की कल्पना नहीं की जा सकती और जीवन में वही श्रीमंत है,जिसका जीवन उपयोगी है। महाराज जी ने बताया कि नरसी जी की तरह इस अभयारण्य की स्थिति है,लेकिन भगवान की कृपा की कृपा से आज यहां आनन्द हो रहा है और यह एक सिद्ध क्षेत्र बन गया है ओर यहां जो जो भी आएंगे उनके सारे कष्ट भगवान मिटा देंगे और अंत में पूज्य गो वत्स राधा कृष्ण जी महाराज का आभार जताते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि भगवान के बहाने जब आपने भगवान की कथा सुनाई तो ऐसा लगा कि यह अभयारण्य नरसी जी की भूमिका में है और आप नानी बाई के भाई भगवान कृष्ण के रूप में यहां पधारे है।
*उपसंहार उत्सव के तृतीय दिवस 01 अप्रेल को आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी महाराज जी के कृपा पात्र शिष्य स्वामी हरिहर जी महाराज का पावन आशीर्वाद मिलेगा।
एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के द्वितीय दिवस पर चुनरी यात्रा मुंबई से नरेंद्र पुरोहित, कोटा से सुरेंद्र शर्मा , भवानीमंडी रवि , कपिल भराडिया ,खानपुर के गोलाना ग्रामवासी, ,खानपुर,झालावाड,सेमली खाम, धरोनिया, भोपाल से श्रीमति निर्मला माधव चतुर्वेदी dysp,ब्यावर के कोटडा केसर सिंह गोमाता के लिए मायरा ,नलखेड़ा सुई गाँव,रतलाम के.पिपलोदा तहसील के रानीगांव, रियावन एवं-संत श्री आसाराम जी गौशाला , सुसनेर आदि ने सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।