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दैनिक समाचार



वक्फ बिल की भांति गोचर से अतिक्रमण हटाने के लिए बिल लाएं मोदी सरकार* - स्वामी गोपालानंद सरस्वती


सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के पंचम दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि बताया कि जब से जीवन से गो को निकाला है,तब से तब से अहम भाव बढ़ा है क्योंकि गो न रखने से विकार बढ़ता है,विचार नष्ट हो जाते है और सद 
विचारों का खात्मा हो जाता है जिससे जीवन में भय,कामनाएं,लाभ,मोह और क्रोध बढ़ने लगता है,इन सब दुर्दशा से बचने का एक मात्र साधन है नि:ष्काम भाव से गो सेवा और जब हम कामना रहित भगवती गोमाता की सेवा करते है तो मन में कोई इच्छा,कोई कामना नहीं होती तब जीवन का जीवन का वास्तविक मूल्य समझ में आता है क्योंकि जीवन में चिन्ता का सबसे बड़ा मूल कारण चाह है, इसलिए कहां भी गया है कि "चाह गई, चिन्ता मिटी" चाह जब तक रहेगी चिन्ता मिटेगी नहीं इसलिए चिंता को मिटाना है तो चाह को मिटाना होगा और आह मिटेगी तो वाह मिलेगी।
      स्वामीजी ने आगे कहा कि गाय माता हमारी माता है, इस बात को हम भूल नहीं सकते। गाय माता हमें सुख देती है।गाय हमारी देवता है इसलिए उक्त तीन बातों को हमें सदा ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए पहले गाय माता की सेवा हो पूजा हो और फिर गाय माता की सुरक्षा भी हो और हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बीते हुए समय में,वर्तमान एवं भविष्य इन तीनों काल में गाय हमारी माता रहेगी। इसलिए मानव जीवन में गाय मां की सेवा करके जीवन को सफल बनाए और भारत का प्रत्येक सनातनी परिवार अपने अपने घर में एक गोमाता की सेवा अवश्य करें ।
   स्वामीजी ने प्रभु को पाने के तीन रास्ते बताए है जिसमें से पहला ज्ञान के द्वारा दूसरा भक्ति के द्वारा और तीसरी सेवा के द्वारा और जीवन का मौज सिर्फ गाय माता सेवा से ही मिलेगा और अगर जीवन में गोव्रत अर्थात पंचगव्य का उपयोग कर प्रभु की नि:ष्काम भाव से सेवा की जाएं व भगवान को गो गव्य से बने प्रसाद का भोग लगाएं तो भगवान की भक्ति का इससे बड़ा कोई माध्यम हो ही नहीं सकता इसलिए प्रभु को पाना है तो हर सनातनी को गोवर्ती बनना होगा अर्थात हमें भेस,बकरी अथवा नकली दूध से बचकर केवल गोमाता के दूध से बने प्रसाद को ही भगवान को भोग लगाकर उसे ग्रहण करना चाहिए ।

 महाराज जी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी से आग्रह किया कि जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आपने गो रक्षा का कानून बनाने की बात कही थी और आप अपने प्रधानमंत्रीकाल में सनातन संस्कृति को बचाए रखने का हर संभव प्रयत्न कर रहें है और कल भी आपकी सरकार ने वक्फ बिल पास करके एक ऐतिहासिक कार्य किया है, उसी प्रकार आप सनातन की मूल आधार भगवती गोमाता को बचाए रखने के लिए या तो गो हत्या बंदी कानून बनवाएं अथवा अगर आपके सामने कोई वैश्विक अड़चन है तो आप वक्फ बिल की भांति भारत में चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाकर उसे गौ के लिए संरक्षित करने के लिए एक बिल तो ले आईए ताकि भारत में एक भी गोवंश दर दर की ठाकरे नहीं खाएं क्योंकि देश का चार करोड़ गोवंश गोचर में कब्जा होने के कारण दर दर की ठोकर खा रहा है ।

*स्वामीजी ने बताया कि उपसंहार उत्सव में ग्वाल प्रशिक्षण शिविर, पंचगव्य उत्पाद शिविर,एवं बहिनों के लिए आत्म रक्षा शिविर विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में चल रहें है और आगामी 09 अप्रैल से 11 अप्रैल तक तीन दिवसीय गो आधारित कृषि का प्रशिक्षण वर्ग रहेगा*
उपसंहार उत्सव के पंचम दिवस पर उज्जैन जिले से किशोर मेहता पलवा निवासी पूर्व जिला सहकारी बैंक उपाध्यक्ष निवासी,रामसिंह जादौन किठोदा निवासी पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष ,मुकेश मेहता 
भाजपा मंडल महामंत्री घटिया उज्जैन एवं आगर जिले के भाजपा जिला महामंत्री डॉ. गजेन्द्र सिंह चंद्रावत सुसनेर आदि अतिथि उपस्थित रहे ।


एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के पंचम दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के बडौद से श्रीमती जतन बाई,प्रभु सूर्यवंशी,सुसनेर तहसील के बढ़िया से डॉ मांगी लाल , सालरिया से भेरू सिंह एवं मेनपुर से आचार्य रोडू सिंह आदि ने अपने परिवार के साथ सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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गाय पृथ्वी का अमोल रत्न एवं धरोहर है और सम्पूर्ण देवताओं का वांग्मय स्वरूप है* - स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, सुमेरु पीठ शंकराचार्य


सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के चतुर्थ दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि मालवा क्षेत्र किसानों का क्षेत्र है लेकिन हमें यह ध्यान देना होगा कि हमें फसल से ज्यादा नस्ल की चिंता करनी होगी क्योंकि फसल बिगड़ने पर वह ठीक हो जाती है लेकिन नस्ल बिगड़ने पर उसका परिणाम सात पीढ़ियों तक भुगतना पड़ता है,इसलिए हमारी नस्ल को बचाने के लिए गोसेवा एवं संरक्षण जरूरी है और भारत सरकार गोहत्या करने वाले को फांसी की सजा देने का कानून बना दे तो भारत में फिर गो रक्षा के लिए कोई कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है ।

*उपसंहार उत्सव के चतुर्थ दिवस पर काशी सुमेरु पीठाधीश्वर परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद जी सरस्वती जी महाराज ने अपने आशीर्वाद में बताया कि विश्व के इस प्रथम गो अभयारण्य का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक रूपी एक ऋषि ने नीव रखी लेकिन बाद में शासन इसकी व्यवस्था नहीं संभाल पाया और 06 वर्ष बाद पुन: इस अभयारण्य की बागडोर एक संत के हाथ में आ जाती है ओर एक संत यहां पर एक वर्ष तक निरन्तर गोमाता की महिमा गान करके यहां का वातावरण गोमाता के जीवन में खुशहाली एवं प्रसन्नता का वातावरण इस पथरीले क्षेत्र में कर देता है और यहां विराजित सभी वेदलक्षणा गोवंश प्रसन्न है ।
  शंकराचार्य भगवान ने आगे बताया कि धार्मिक,भौतिकवाद एवं अध्यात्म दृष्टि से देखे तो जब गाय रूपी पृथ्वी पर अनाचार,दुराचार एवं पापाचार बढ़ता है तो भगवान राम त्रेता में यहां मानव के रूप में प्रकट होते है ओर द्वापर में तो भगवान कृष्ण स्वयं गोचारण कर हमें गोसेवा करने का संदेश देते है क्योंकि गाय पृथ्वी का अमोल रत्न एवं धरोहर है और सम्पूर्ण देवताओं का वांग्मय स्वरूप है और पौराणिक आधार पर इस धरा पर ऐसा कोई देवता , नदी एवं तीर्थ नही जो गाय के शरीर पर न विराजमान न हो और गाय की सेवा,पूजन एवं अर्चन से इस धरा पर ऐसा कोई पदार्थ नहीं जिसे हम प्राप्त न कर सकें क्योंकि अनेक प्रकार के प्रायश्चित करने के बाद भी मनुष्य के शरीर का पापक्षेम नहीं होता लेकिन पंचगव्य जिसके प्रासंग से हड्डी तक के पाप नष्ट हो जाता है और जब यह भौतिक शरीर को कैंसर जैसी जटिल एवं असाध्य बीमारियों को भी भी गोमाता के पंचगव्य से ठीक किया जा सकता है और अन्त में प्राण छूटने पर पुच्छ से गोलोक की प्राप्ति का आधार भी अपने पुराणों में निरूपित एवं वर्णित है।
 भारत कृषि प्रधान है और सतयुग से लेकर आज तक गोमाता के गोबर से हमारी ऋषि कृषि जीवित रही है जिसे मैकाले शिक्षा के माध्यम से भारत में तैयार हुए काले अंग्रेजों ने हरित एवं श्वेत क्रांति का नाम देकर रासायनिक जहर एवं गाय सा दिखने वाला विदेशी पशु जो सूअर के जीन से तैयार किया है जिसके दूध से कैंसर होता है उसे बढ़ावा देकर हमारी भारतीय गोमाता की उपेक्षा की है,जिसके लिए हमें संगठित एवं जागृत होकर गौसेवा में जुटना होगा साथ ही शंकराचार्य भगवान ने कहां कि हमारे देश में बकरी,सूअर एवं मुर्गा पालने की सरकार की योजना तो है लेकिन गोपालन की कोई ठोस योजना नहीं है इसलिए भारत सरकार को शीघ्र गोपालन मंत्रालय का गठन करना चाहिए और देश की सभी चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाकर उसे गोपालन के लिए संरक्षित एवं सुरक्षित करना चाहिए साथ ही भारत के प्रत्येक सनातनी को अपनी आय का कुछ हिस्सा भगवती गोमाता की सेवा के लिए लगाना चाहिए और उसे गौशालाओं के लिए दान करना चाहिए।
 पूज्य शंकराचार्य भगवान का गो अभयारण्य पधारने पर भव्य स्वागत किया गया और स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज सहित सभी संतो एवं गो सेवकों ने शंकराचार्य भगवान की चरण पादुकाओं का पूजन अर्चन किया। 



एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के चतुर्थ दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्य से समस्त संत आसाराम बापू जी महाराज के गोभक्त साधक , पटपड़ा,दुल्हे सिंह , सालरिया,मेवाड़ भक्त मण्डल,समस्त गोभक्त मण्डल, सनवाड़, राजनगर एवं बोरखेड़ी कावल ग्रामवासियों ने सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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गोमाता के नेत्रों को देखने से सर्वश्रेष्ठ ध्यान होता है*- गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के समापन दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि भारत को भारत की संस्कृति चाहिए और भारत की संस्कृति का प्राण गायमाता है और उसी के लिए मंगल पांडे ने बंदूक उठाई थी । मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फांसी तो दे दी लेकिन वे उनके विचारों को नहीं मार पाएं और आज भी उनके विचार जीवित है और हमें उनके विचारों को जीवित रखना है तो उसके लिए सेवा ही एक सर्वोत्तम साधन है और वह मनुष्य ही कर सकता है क्योंकि परमात्मा के पास जाने का एक मात्र साधन मनुष्य के पास है और सेवा के माध्यम से ही वह भगवती गोमाता की सेवा कर परमात्मा के पास जा सकता है। 
 
एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के समापन पर्व एवं उपसंहार उत्सव पर गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज के श्रीमुख से प्रारम्भ हुई तीन दिवसीय नरसी जी के मायरा कथा के शुभारंभ दिवस पर महाराज जी ने बताया कि प्रारंभ में लोग आश्चर्य करते थे कि एक वर्ष की भी कोई कथा होती है क्या क्योंकि जो पुस्तकीय ज्ञान से कथा करते है उसकी एक सीमा होती है लेकिन स्वामी गोपालानंद जी महाराज ने जो एक वर्ष की कथा श्रवण करवाई है वह भगवती गोमाता जो सब वेद पुराणों को अपने अन्दर समाहित रखती हैं उसकी कथा उसके सम्मुख गोमाता को दिखाते हुए गोमाता की महिमा वर्षभर गाई गई है और भगवती गोमाता की महिमा तो इतनी है कि उसे पांच वर्ष में भी पूरा नहीं किया जा सकता है और साथ ही बताया कि इस सृष्टि में सबसे सर्वश्रेष्ठ ध्यान गोमाता के नेत्रों को देखकर ध्यान करने को बताया और कहा कि आपने गोमाता की आंखों को निरंतर देखा तो आपको गोमाता की आंखों में साक्षात श्री कृष्ण के दर्शन होंगे ।
 महाराज जी ने बताया कि नरसी जी के मन में। अच्छी गोसेवा रही है और उन्होंने अपनी युवावस्था गोमाता के गोष्ठ में रहकर ही बिताई है और भगवती गोमाता की कृपा से ही वे प्रभु के करीब पहुंचे है क्योंकि ईश्वर तक पहुंचाने का एक मात्र माध्यम गोमाता ही है ।
   महाराज जी ने 144 साल बाद आए महाकुंभ की सारी व्यवस्था की बहुत प्रशंसा की और बताया कि इस महाकुंभ में गोरक्षा की दृष्टि से कोई ठोस निर्णय हो जाता तो यह महाकुंभ आनंददाई हो जाता ।
   महाराज जी ने गोरक्षक भगवान दत्तात्रेय भगवान के बारे में बताते हुए कहां कि वे किसी एक सम्प्रदाय के आचार्य नहीं थे बल्कि वे कल्पगुरु थे और भक्त नरसी जी को उन्होंने ही वाणी थी थी और उस वाणी से ही नरसी जी जीवंत पर्यंत तक केवल हरिभजन करते रहें और उन्होंने अपने जीवन में कभी भी अपनी तारीफ एवं दूसरों की बुराई नहीं की और इसी श्रेष्ठ गुण से वे भगवान के अतिप्रिय भक्तों की श्रेणी में अपना नाम अमर कर गए ।

एक वर्षीय महामहोत्सव के समापन पर्व पर स्वामी देवानंद सरस्वती जी, लक्षानन्द जी बावजी,प्रकाश बाबाजी,चंद्रमदास जी महाराज एवं यज्ञाचार्य गंगाधर जी पाठक सभी संतो एवं विद्वानों ने भगवती गोमाता की महिमा के बारे में बताते हुए कहां कि जिनके अंतःकरण में पंचगव्य है वे ही वेद को ग्रहण कर सकते है और लोग पशु को हीन भावना से देखते है लेकिन जिनके दर्शन मात्र से ब्रह्मांड नायक के दर्शन हो वह पशु हैं और इसी विशेषता के कारण से ही तो भगवान शंकर पशुपति नाथ कहलाएं और सभी संतो ने एक स्वर से कहा कि आज कथा का समापन नहीं बल्कि एक विराम है और यह क्रम निरंतर चलता रहना चाहिए इस पर पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी ने बताया कि शेष कथा का क्रम जारी रहेगा ।

श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार जी अगवाल ने बताया कि भगवान कृष्ण ने ग्वाल के रूप में काम किया है और वहीं काम अब ग्वालशक्ति सेना एवं धेनु शक्ति संघ को भगवान कृष्ण का कार्य मानकर कार्य करना होगा साथ ही कार्यपालन अधिकारी आलोक सिंहल,प्रबंध न्यासी अम्बा लाल सुथार, क्षेत्रीय निदेशक ब्रह्मदत्त व्यास,न्यासी भूर सिंह राजपुरोहित आदि ने एक वर्षीय महामहोत्सव के मुख्य यजमान चिमन भाई अग्रवाल के परिवार एवं इस महोत्सव में हर प्रकार से सहयोग करने वाले सभी सज्जनों का आभार जताया
    *पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज का पूज्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज सहित सभी संतो एवं कार्यकर्ताओं ने गो अभयारण्य पर पधारने पर स्वागत किया*

*एक वर्षीय महोत्सव के समापन दिवस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गो सेवा आयाम के अखिल भारतीय अधिकारी शंकर लाल भी भाईसाहब, गो संवर्धन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मेघराज जी जैन सहित गो सेवा विभाग के मालवा प्रान्त के अधिकारी आदि अतिथि उपस्थित रहें ।

एक वर्षीय गोकृपा कथा के समापन दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के गो प्रेमियों की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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मध्यप्रदेश की भांति हर राज्य में शासन एवं समाज के सहयोग से एक एक गो अभयारण्य स्थापित हो*- गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज


सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज ने बताया कि जैसे वर्षा जल की बूंदों को नहीं गिना जा सकता है ठीक उसी प्रकार गौमाता के गुणों को नहीं पहचाना जा सकता है, कुछ लोगों को लगता है गौमाता एक सामान्य प्राणी है, पशु है, दूध देने वाला जीव मात्र है। 
कुछ लोग गाय की आराधना स्वीकार नहीं कर सकते, उनकी आरती करना उन्हें ठीक नहीं लगता लेकिन अगर साक्षात भगवान को पाना है तो फिर गोमाता की सेवा करनी होंगी और भारतीय नूतन वर्ष विक्रम संवत् २०८२ के प्रथम दिवस पर गोमाता के प्रथम दर्शन पाकर अति आनंद की अनुभूति हुई क्योंकि भगवती गोमाता का यह तीर्थ सिद्ध तीर्थ बन गया है। क् एक वर्ष से जो अनुष्ठान यहां चला है , उससे गौसेवा एवं गो संरक्षण को बल मिला है और जहां सेवा होती है भगवान वहां साधन देते है और विश्व के इस प्रथम गो अभयारण्य में तो शासन एवं समाज दोनों ने मिलकर भगवती गोमाता की सेवा कर रहें है और अभ्यारण्य की 6700 गोवंश स्वस्थ एवं प्रसन्न है ।
    पूज्य महाराज जी ने भारत सरकार सहित देश की सभी राज्य सरकारों से आह्वान किया कि मध्यप्रदेश के इस गो अभयारण्य की भांति सभी राज्यों में एक एक गो अभयारण्य स्थापित हो जाए जहां मध्यप्रदेश की भांति शासन एवं समाज मिलकर गोपालानंद जी महाराज जैसे दिव्य संतो के सानिध्य में गोसेवा में जुटे तो भारत में गोमाता को स्वत: सम्मान मिल जाएगा ।
    महाराज जी ने बताया कि एक वर्षीय गौ आराधना महामहोत्सव में पूरे वर्ष भर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से गौमाता के लिए चुनर यात्रा लेकर आए, जिस प्रकार अपनी मां बहन के लिए ओढ़नी लेकर जाने का जो भाव मन में होता है ठीक वही भाव गौमाता को चुनर ओढ़ाने के समय देखा उससे मन खूब आनंदित हुआ। जिस जिस ने पूरे वर्ष भर में गौमाता को चुनर ओढ़ाई वह निश्चित रूप से गौमाता को तकलीफ नहीं पहुंचाएंगे। 
    महाराज जी ने सभी देश वासियों से आग्रह किया कि गर्मी का मौसम है ओर आप जहां भी हो वहां गोमाता के पीने के पानी की व्यवस्था अवश्य करें क्योंकि गोमाता को पानी पिलाने से ठाकुर जी प्रसन्न होते है साथ ही महाराज ने कहां कि जब भी आप,सत्संग ,मंदिर एवं गोशालाओं में जाएं तो अकेले नहीं जाओ, सबको साथ लेकर जाओ क्योंकि जीवों के सम्मुख रहने से भगवान राजी होते है ।
       महाराज जी ने देश के राजनेताओं को नसीहत देते हुए कहां कि देश के बड़े बड़े राजनेता अपने घरों पर गोमाता रखकर या गोमाता को रोटी खिलाकर अपना फोटो तो खींचवा लेते है,लेकिन जब गोमाता को सम्मान दिलाने की बात आती है तब वे मौन हो जाते ,देश के उन राजनेताओं को जिनसे देश एवं सनातन को अपेक्षा है वे तो कम से कम अपनी कथनी करनी में भेद न रखें साथ ही महाराज जी ने गोमाता को राजमाता का सम्मान देने वालों को भी याद दिलाया कि जिन राज्यों में गौमाता को राज्य माता का दर्जा दिया है, उनको चाहिए कि वह गौमाता को वह अधिकार भी देवे और राजनैतिक पार्टिया सिर्फ वोटों के लालच के लिए गौमाता का उपयोग करना बंद करें ।

*उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा लोक पुण्यार्थ न्यास के न्यासी बोर्ड केंद्रीय कार्यकारिणी एवं सुरभि प्रज्ञा परिषद बैठक सायंकाल 06 बजे से 08 बजे तक गो अभयारण्य में पूज्य संतो के सानिध्य में आयोजित होने जा रही है*





एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के बीकानेर के देरासर, से रामलाल गुसाईसर,हुक्माराम भाई ,झालावाड़ जिले के बोलियाबारी ग्राम के ग्रामवासियों एवं मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के छापीहेडा एवं सुसनेर तहसील के सालरिया ग्राम के साथ साथ ग्राम गावडी ग्राम से मनीषा
जिनके पिताजी की आखिरी इच्छा थी कि गौ माता के लिए चुनर ले जाए उनकी एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई पर अब उनकी बेटी मनीषा और बेटा रघुवीर सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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कष्ट उठाने वाले ही कष्ट दूर कर सकते है*- गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज


सुसनेर/- जनपद सुसनेर क्षेत्र में मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित विश्व के प्रथम गो अभयारण्य सालरिया में चल रहें एक वर्षीय गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के प्रथम दिवस भारतीय नूतन वर्ष विक्रम संवत् २०८२ रविवार को श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा लोक पुण्यार्थ न्यास के न्यासी बोर्ड कार्यकारिणी एवं सुरभि प्रज्ञा परिषद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के कार्यकारी प्रधान संरक्षक परम गो वत्स पूज्य राधाकृष्ण जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में बताया कि एक बार भानपुरा पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य पूज्य स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरी जी महाराज ने हरिद्वार में एक सन्यासी को बताया कि राजस्थान में एक ऐसा स्थान है जहां लाखों गोमाता की सेवा होती है और वहां एक समय के चारे की ही व्यवस्था रहती है लेकिन वहां एक ऐसे संत है जो सायंकाल के चारे के लिए भजन करते है और ठाकुर जी चारे की व्यवस्था कर देते है,ऐसे दिव्य संत है पूज्य पथमेड़ा महाराज जी ,जिनका जन्म केवल भगवती माता की सेवा के लिए ही हुआ है।
   पूज्य महाराज जी ने आगे बताया कि भगवती गोमाता के लिए अगर कष्ट उठाना पड़े तो हमें घबराना नहीं चाहिए क्योंकि "कष्ट उठाने वाले ही कष्ट दूर सकते है " साथ ही गौसेवा करने वालों की बैठक देश के क्रांतिकारियों की बैठकों की तरह होनी चाहिए और हमारे हर न्यासी को इस बात का गर्व होना चाहिए कि हम विश्व के लोक प्रसिद्ध गोसेवा संस्थान के न्यासी है और हर कार्यकर्ता को यह ध्यान में रखते हुए कार्य करना चाहिए कि पूज्य पथमेड़ा बावजी हमारे हृदय में है इस प्रकार हम कार्य में जुटेंगे तो हम श्रेष्ठ कार्य कर पाएंगे साथ ही महाराज जी ने कहा कि आजकल किसी भी सत्संग एवं कथा की धन इकठ्ठा करने का माध्यम मानकर हम जाने अनजाने में भगवान का अपमान कर रहे है जबकि सत्संग एवं कथा तो केवल भाव जागृत करने का माध्यम होना चाहिए ।

बैठक में श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के राष्ट्रीय संयोजक ग्वाल संत गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि हमें ईमानदारी पूर्वक अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिए ओर हम अपने परिवार को भी गोसेवा के कार्य से जोड़ेंगे तो हम हमारे कार्य को ओर अच्छे से कर पाएंगे ।
अरबुदा गो नंदी तीर्थ के संरक्षक गोविन्द वत्सल दास जी ने बताया कि गोमाता का कार्य ईश्वरीय कार्य है और इसके लिए भगवान ने हमें निमित्त बनाया है यह हमारा शौभाग्य है साथ ही मनुष्य को कभी यह अंहकार नहीं करना चाहिए कि यह मैने किया है और जहां मैं की भावना आ जाती है वहीं से उस मनुष्य के पतन की शुरुआत हो जाती है और जिसके मन में दृढ़ संकल्प हो ओर मन में पक्का विश्वास हो तो कार्य में कोई बाधा नहीं आती ।
 गोपाल परिवार से वरिष्ठ साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती ने बताया कि गौसेवा में मातृशक्ति की भी अहम भूमिका होनी चाहिए और जिस कार्य में मातृशक्ति का सहयोग पुरुष को मिलता है वह कार्य और श्रेष्ठता से होता है और पूज्य गुरुदेव स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज के मार्गदर्शन में धेनु शक्ति संघ नामक संगठन मातृशक्ति के लिए गठित किया है,जिसमें पांच हजार गोव्रती माता बहिनों के माध्यम से एक करोड़ माता बहिनों को गो सेवा कार्य में जोड़ा जाएगा ।
  बैठक में श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा लोक पुण्यार्थ न्यास के अध्यक्ष प्रदीप बंसल,कार्यकारी अध्यक्ष रघुनाथ सिंह,महामंत्री अर्जुन सिंह एवं कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश जी ने आगामी वर्ष की कार्य योजना पर अपने विचार रखे ,बैठक में देश भर के सभी न्यासियों ने मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित विश्व के प्रथम गो अभयारण्य जो 01 जनवरी 2023 से विश्व के लोक प्रसिद्द गो सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित है,उसे विश्व का प्रसिद्द गो पर्यटक स्थल बनाने एवं मध्यप्रदेश के यशस्वी गोसेवक मुख्यमंत्री जी की इच्छानुसार इस गो अभयारण्य का नाम परिवर्तन कर *श्री कामधेनु गोकुल गोधाम* करने का प्रस्ताव लेकर राज्य सरकार को भिजवाने का निर्णय लिया बैठक का संचालन कार्यपालन अधिकारी आलोक सिंहल ने किया बैठक में देशभर के सभी राज्यों के 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया ।


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भगवान कृष्ण ने स्वयं भूतल में आकर हमें गो सेवा का मंत्र दिया*- गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज


सुसनेर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के उपसंहार उत्सव के द्वितीय दिवस पर पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज द्वारा एक वर्षीय गौ आराधना महा महोत्सव के अंतर्गत भक्त चरित्र नरसिंह मेहता का परम पावन चरित्र प्रसंग नानी बाई के मायरे के माध्यम से आगे की कथा सुनाते हुए कहा कि परम पावन इस दिव्य तीर्थ गो अभयारण्य की इस भूमि पर वर्ष पर्यन्त गो महिमा का गान होता रहा है और अभी दिव्य भाव से शिव शक्ति यज्ञ यहां संपादित हो रहा है जबकि यहां बहुत अधिक पेड़ भी नहीं है बहुत अधिक जल के स्रोत भी नहीं हैं है और इस पूरे जंगल के पथरीले पठार में यहां रहकर जो गो सेवा हो रही है और जो सेवा कर रहे हैं वह अदभुत है और निश्चित मानिए कि बिना गोपाल कृष्ण की कृपा व आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं है 
 महाराज जी ने बताया कि जिस प्रकार गांव के व्यक्ति को अपने गांव के जीवन में शहर वाले को शहर के जीवन में रस मिलता है,उसी प्रकार जो गो सेवा में रस आता है, उसको लगता है जो रस गोमाता के गोष्ठ में गो सेवा से मिलता है उतना रस बड़े बड़े शहरों में नहीं मिलता । भगवान ने अनेक अवतार लिए और खूब पराक्रम दिखाया लेकिन नारद जी ने भगवान को कहां कि प्रभु ऐसे अवतार लीजिए जिसके माध्यम से आप कुछ करके दिखाएं ताकि आपका वे अनुसरण कर सकें और भगवान ने द्वापर में कृष्णावतार लेकर पहले माखन की चौरी की और फिर गोचारण किया । आजकल लोगों का मानना है कि पंचगव्य उत्पाद का प्रचार किसी बड़े फिल्म स्टार अथवा खिलाड़ी से करवाना चाहिए ताकि माल अधिक सकें इसपर महाराज जी ने बताया कि कोई नेता अभिनेता किसी वस्तु का प्रचार करें तो उसमें खोट हो सकती है लेकिन जिस पदार्थ का भगवान ने स्वयं प्रचार किया उसमे कोई खोट नहीं हो सकती भगवान ने माखन चोरी करके पंचगव्य का प्रचार किया और दूसरा गो चारण करके गो सेवा का यानि भगवान कृष्ण ने स्वयं भूतल में आकर हमें गो सेवा का मंत्र दिया भगवान ने स्वयं कहां कि जो फल मदभागवत के परायण के पाठ करने से मिलता है वहीं फल गो सेवा से मिलता है, इसलिए हम सभी गव्य को अमृत समझकर उसका उप एवं प्रचार करें और जिस प्रकार भगवान ने कृष्णावतार में गौसेवा की उसे हम भी दोहराकर भगवान को प्रसन्न कर सकते है। 
    महाराज जी ने नरसी मेहता जी की कथा के माध्यम से बताया कि सम्पता, विपन्नता सबको दिखती है लेकिन भक्ति किसी की नहीं दिखती और नरसी मेहता ने कुछ पाने के लिए भक्ति नहीं की लेकिन भगवान ने बिना मांगे सबकुछ दे दिया और भक्ति का सबसे श्रेष्ठ साधन गो सेवा है क्योंकि गो सेवा के बिना तो किसी भी प्रकार की कल्पना नहीं की जा सकती और जीवन में वही श्रीमंत है,जिसका जीवन उपयोगी है। महाराज जी ने बताया कि नरसी जी की तरह इस अभयारण्य की स्थिति है,लेकिन भगवान की कृपा की कृपा से आज यहां आनन्द हो रहा है और यह एक सिद्ध क्षेत्र बन गया है ओर यहां जो जो भी आएंगे उनके सारे कष्ट भगवान मिटा देंगे और अंत में पूज्य गो वत्स राधा कृष्ण जी महाराज का आभार जताते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि भगवान के बहाने जब आपने भगवान की कथा सुनाई तो ऐसा लगा कि यह अभयारण्य नरसी जी की भूमिका में है और आप नानी बाई के भाई भगवान कृष्ण के रूप में यहां पधारे है। 
*उपसंहार उत्सव के तृतीय दिवस 01 अप्रेल को आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी महाराज जी के कृपा पात्र शिष्य स्वामी हरिहर जी महाराज का पावन आशीर्वाद मिलेगा। 

एक वर्षीय गोकृपा कथा के उपसंहार उत्सव के द्वितीय दिवस पर चुनरी यात्रा मुंबई से नरेंद्र पुरोहित, कोटा से सुरेंद्र शर्मा , भवानीमंडी रवि , कपिल भराडिया ,खानपुर के गोलाना ग्रामवासी, ,खानपुर,झालावाड,सेमली खाम, धरोनिया, भोपाल से श्रीमति निर्मला माधव चतुर्वेदी dysp,ब्यावर के कोटडा केसर सिंह गोमाता के लिए मायरा ,नलखेड़ा सुई गाँव,रतलाम के.पिपलोदा तहसील के रानीगांव, रियावन एवं-संत श्री आसाराम जी गौशाला , सुसनेर आदि ने सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
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